नई दिल्ली/ भोपाल. भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन पर बैठने को तैयार योग गुरू बाबा रामदेव को मनाने के लिए केंद्र सरकार ने एड़ी- चोटी का जोर लगा दिया है। रामदेव पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की उस अपील का भी असर नहीं पड़ा है, जिसमें बाबा से 4 जून से प्रस्तावित अनशन की जिद छोड़ने को कहा गया था। इसके बाद सरकार की ओर से बुधवार को बाबा रामदेव को मनाने के लिए मंत्रियों की फौज भेजी गई। फिर भी बात नहीं बनी।
बाबा आज मध्य प्रदेश से दिल्ली लौटे। उनके पहुंचने से काफी पहले ही सरकार के कई कद्दावर मंत्री और अफसर हवाई अड्डे पर उनकी अगुवानी के लिए पहुंच गए थे। योग गुरु से केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी अन्य मंत्रियों सहित रामदेव से एयरपोर्ट पर मुलाकात की।
सरकार किस कदर रामदेव को मनाने में लगी हुई है, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हवाई अड्डे पर रामदेव की अगुवानी करने के लिए केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय, संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल और विज्ञान मंत्री कपिल सिब्बल काफी पहले ही पहुंच चुके थे। बात में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी भी पहुंचे। उन्होंने बाबा रामदेव से बात की। लेकिन नतीजा मनमाफिक नहीं निकला। बाबा से मिलने के बाद केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के पास पत्रकारों से कहने के लिए कुछ नहीं था। उन्होंने मीडिया से कहा, 'उन्होंने (रामदेव ने) कई मुद्दे हमारे सामने रखे। ये मुद्दे राष्ट्र से जुडे़ हैं, गंभीर मुद्दे हैं। आने वाले दिनों में भी हमारी उनके साथ बातचीत होती रहेगी।' हालांकि सिब्बल ने इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया कि बाबा अनशन करेंगे या नहीं। लेकिन कुछ ही देर बाद बाबा रामदेव निकले और उन्होंने साफ ऐलान किया कि 4 जून से दिल्ली और पूरे देश में अनशन का कार्यक्रम शुरू होगा। (बाबा की कही गई पूरी बात पढ़ने के लिए रिलेटेड आर्टिकल के लिंक पर क्लिक करें)
मंत्रियों की फौज भेजने से पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह रामदेव को चिट्ठी लिखकर यह बताने की कोशिश कर चुके हैं कि सरकार भ्रष्टाचार से निपटने को लेकर गंभीर है। इसलिए बाबा अनशन का कार्यक्रम त्याग दें। लेकिन योग गुरू ने पीएम की अपील ठुकराते हुए कहा कि वो चाहते हैं कि काले धन और भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सरकार विशेष कानून बनाए।
प्रधानमंत्री ने कहा था, 'हमें बाबा रामदेव के साथ मिलकर समाधान निकालना होगा। मैं सभी संबंधितों से अपील करता हूं कि वे सहयोग करें।' प्रधानमंत्री ने सोमवार रात मंत्रिमंडल की राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की थी।
(फोटो कैप्शन: भोपाल में दिल्ली के लिए विमान में सवार होते बाबा रामदेव)
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क्या सरकार बाबा को मनाने के लिए जितना पसीना बहा रही है, उतनी मशक्कत उनकी मांग मानने के लिए नहीं होनी चाहिए? सरकार के रवैया से यह नहीं झलकता है कि वह भ्रष्टाचार कम करने और विदेश में जमा काला धन वापस लाने के प्रति कतई गंभीर नहीं है? उसका पूरा जोर फिलहाल किसी तरह मामले को दबाने पर है? अपनी राय नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर दुनियाभर के पाठकों से शेयर करें। किसी भी आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए पाठक खुद जिम्मेदार होंगे।