Saturday, June 4, 2011

सरकार ने बाबा की मानी मांग, पोल भी खोली, रामदेव ने इसे बताया विश्वासघात

रामलीला मैदान से शेखरघोष की लाइव रिपोर्ट 

नई दिल्ली. केंद्र सरकार और बाबा रामदेव के बीच एक फिर से वाक युद्ध शुरू हो गया। केंद्र सरकार ने बाबा रामदेव के एक पत्र को दिखाकर खुलासा किया है कि बाबा के साथ उनका पहले ही समझौता हो चुका है। तो बाबा ने इसे विश्वासघात का नाम दिया है।

सरकार का वार

केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री कपिल सिब्बल का कहना है कि बाबा रामदेव और सरकार के बीच पहले ही सहमति बन गई थी। लेकिन बाबा को कुछ गलतफहमी हो गई। लेकिन सरकार बाबा रामदेव की उस मांग को मानने के लिए तैयार हो गई है जिसमें काले धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने की मांग की गई है। इसके लिए कानून में बदलाव लाया जाएगा। सिब्बल ने कहा कि बाबा को लिखित सहमति भेजी जा रही है। दूसरी ओर, उम्मीद की जा रही है कि सरकार के द्वारा मांग मान लेने के बाद अब बाबा रामदेव आंदोलन समाप्त कर सकते हैं। सिब्बल ने बाबा रामदेव के एक सहमति पत्र दिखाते हुए कहा कि बाबा ने कल ही चार जून को अनशन तोड़ने का लिखित सहमति पत्र दिया था। इसमें कथित तौर पर बाबा ने चार तारीख से लेकर छह तारीख तक अनशन नहीं सिर्फ तप करने का आश्वासन दिया गया था। लेकिन बाबा को कुछ गलतफहमी हो गई थी।

बाबा ने कहा, ये तो विश्वासघात है 

पत्र के जवाब में रामदेव ने कहा कि केंद्र सरकार जो पत्र दिखा रही है, वह लिखा नहीं गया बल्कि लिखवाया गया है। मंत्रियों ने प्रधानमंत्री को देने के लिए यह पत्र लिखवाया गया था। अब जो केंद्र सरकार कर रही है वह धोखा और विश्वासघात है। उन्होंने कहा कि अब फोन पर कोई बातचीत नहीं होगी। रामदेव ने एक बार फिर कहा है कि यदि सरकार लिखित में आश्वासन देती है तो वह आंदोलन समाप्त कर सकते हैं।

बाबा ने कहा, राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करे काले धन को

सिब्बल की प्रेसवात्र्ता के पहले बाबा रामदेव ने शनिवार की शाम रामलीला मैदान में ऐलान किया था कि काले धन के मामले पर अगर सरकार कार्रवाई करती है और उसे राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करती है तो मैं सौ करोड़ भारतवासियों की तरफ से प्रधानमंत्री का अभिनंदन करूंगा। अगर सरकार यह ऐलान कर दे तो कल ही अपना अनशन समाप्त कर देंगे। लेकिन मुझे इस पर कमेटी नहीं कार्रवाई चाहिए। हम यहां भूखा मरने के लिए न ही किसी को मारने के लिए बैठे हैं। हम देश के लिए बैठे हैं। सरकार कोई भी सकारात्मक कदम उठाती है तो मैंने उसका स्वागत किया है और आगे भी करूंगा।

दोपहर में कुछ घंटों के ब्रेक के बाद शाम को मंच पर लौटे रामदेव ने अपनी मांग को जायज ठहराते हुए पंडाल में मौजूद लोगों से सवाल किया था कि क्या भ्रष्टाचारियों के लिए फांसी की सज़ा की मांग करना गलत है? क्या तकनीकी कॉलेजों में हिंदी समेत अन्य भारतीय भाषाओं में पाठ्यRम की मांग करना गलत है? मैं मरने से डरता तो आज रामलीला मैदान में नहीं बैठा होता। उन्होंने कहा कि हमारी तरफ से बातचीत सौ फीसदी सकारात्मक रही है। हम यहां देश का हक मांगने आएं हैं। हम किसी से भीख मांगने नहीं आएं हैं। हम किसी से किसी का हक नहीं छीनने आएं हैं। बल्कि हम 120 करोड़ भारतीयों का हक मांगने आए हैं और उसे लेकर रहेंगे। बाबा रामदेव ने पूछा, क्या इस देश का किसान अकुशल मजदूर है? क्या विश्वविद्यालयों में पढ़कर किसान तैयार होंगे? किसान को कुशल मजूदर मानिए। क्या हमारी ये मांगें गलत हैं?

बाबा भ्रष्‍टाचार और काले धन के खिलाफ आज सुबह से अनशन पर हैं। दोपहर में खबरें आईं कि केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा है कि सरकार ने बाबा रामदेव की 99 फीसदी मांगें मान ली हैं। सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बाबा रामदेव को व्यवहारिक होकर यह समझना चाहिए कि सरकार संविधान के दायरे में ही रहकर काम करती है। सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सरकार ने बाबा रामदेव को एक एक्शन टेकेन रिपोर्ट (एटीआर) सौंपा है और उन्हें अब बाबा रामदेव के जवाब का इंतजार है। एटीआर में सबसे Êयादा आपत्ति भ्रष्टाचारियों के लिए सजा-ए-मौत की मांग को लेकर जताई गई है और यह भी कहा गया है कि बाबा रामदेव की सभी मांगें एक समयसीमा के भीतर मानना मुश्किल है। वहीं, बाबा का कहना है कि सरकार चाहे तो संविधान में बदलाव करे, लेकिन हम अपनी मांगें छोड़ने को तैयार नहीं हैं।



उधर, बाबा रामदेव का सत्याग्रह पहले ही दिन विवादों में घिरता नज़र आ रहा है। अब तक सत्याग्रह को समर्थन दे रही अन्ना हजारे की टीम ने शनिवार को सत्याग्रह में साध्वी ऋतंभरा के शामिल होने पर ऐतराज जताया है। अन्ना हजारे ने शनिवार को कहा है कि बाबा रामदेव के अनशन में शामिल होने पर फैसला कल किया जाएगा। हजारे के सहयोगी समाजसेवी स्वामी अग्निवेश ने शनिवार को कहा कि साध्वी ऋतंभरा का इतिहास सांप्रदायिक रहा है और वे भीड़ को भड़काने वाली हैं। ऐसे में अन्‍ना को अनशन में शामिल होने पर दोबारा सोचना चाहिए।



(तस्वीर : रामलीला मैदान में सत्याग्रह के दौरान मंच पर मौजूद बाबा रामदेव व अन्य संत)

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